Wednesday, November 5, 2014

डर

अक्सर लोग कहते हैं कि डरना बुरी बात है और यह भी कहते हैं कि एक व्यवस्थित जिन्दगी के लिए डर का होना भी जरूरी है वरना हम में से अधिकांश लोग स्वेच्छाचारी हो जाएंगे।

दोनों ही स्थितियाँ सच है और इसको स्थापित करने के सबके अपने अपने तर्क भी।

डर - किस बात का? हम सबने जो कुछ (सुख-सुविधा, प्रतिष्ठा आदि) अबतक पाया उसके खो जाने का या भबिष्य की चाहत को ना पाने का?

विद्रूप सामाजिक स्थिति में परिवर्तन लाने की दिशा में जो सबसे बड़ी बाधा है वो यही "डर" है शायद।

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