सारा खेल TRP का है साहिब। नहीं तो क्या कारण है जो अपने आपको स्वयं से राष्ट्रीय चैनल घोषित करनेवाले दलाल मीडिया द्वारा महीनों, वर्षों से लगभग हर दिन हिन्दू, मुस्लिम, पाकिस्तान, राम मंदिर, ज्ञानवापी, मथुरा आदि के साथ साथ अनेक गैर जरूरी मुद्दों पर खबरों को ही परोस रहा है जबकि देश में कोरोना के गम्भीर संकट से उपजी समस्याएं, मँहगाई, बेरोजगारी, बच्चों की पढ़ाई, किसानों की समस्यायें आदि से देश बुरी तरह से जूझ रहा है।
मैं ये कभी नहीं कहता कि रिया, सुशांत, ड्रगवाली या और अन्य खबरों को जगह नहीं मिले। अवश्य मिले। लेकिन ये खबरें लगातार 90 दिनों से ऊपर, दिन रात दिखानेवाली खबर तो कम से कम नहीं है। और भी ग़म हैं ज़माने में मुहब्बत के सिवा।
यह भी सच है कि हर चैनल के सम्पादक का अधिकार है कि वो अपने अपने तरीके से अपने समाचार का एजेंडा तय करे खबरों की विविधता और विश्वसनीयता से उसका खबर-व्यापार और बढ़ता है। व्यापार का पैमाना हरएक चैनल के अपने अपने TRP (Television Rating Points) होता है और इसी TRP के चक्कर में ये तथाकथित राष्ट्रीय चैनल वालों ने पूरे राष्ट्र को छोड़कर कुछ खास मुद्दे को बार बार / लगातार उठाकर देश की अन्य ज्वलन्त समस्या और उसके समाधान से आमलोगों के ध्यान को हटाने का "अपराध" किया है। उसे अपने मीडिया-धर्म और जन- सरोकारों से कोई मतलब नहीं। बस किसी तरह TRP चाहिए।
हे भारत के सम्मानित और पीड़ित नागरिकों! जरा एकान्त में स्थिर और सजग बुद्धि से जरूर सोचिएगा कि कहीं आपके "नागरिक-बोध" को खतम करके उसे धीरे धीरे "प्रजा-भाव" में रूपांतरित करने की साज़िश तो नहीं चल रही है?
जब समाचार चैनलों को अपने TRP के लिए अपना अपना एजेंडा तय करने का अधिकार है तो फिर क्या हम सभी आम नागरिकों को अपना TRP (Total Reject Plan) का अधिकार भी नहीं? क्योंकि हमारे / आपके द्वारा जब इन खबरों देखा जाता है तो इन गैर जिम्मेवार चैनलों का TRP बढ़ता है और उन्हें विज्ञापन मिलता है। यदि इन समाचार चैनलों को आम जनता की चिंता नहीं तो हम उनकी चिंता क्यूं करें? उन्हें क्यों देखें और सुनें?
यदि अपने देश, अपने लोकतंत्र, अपने गांव / शहर, अपनी संतानों और अपने अपने भविष्य के प्रति आपके भीतर कुछ भी कर्त्तव्य-बोध और चिंता है तो इन गैर जिम्मेवार चैनलों के देखना बन्द करिए और इसके TRP को गिराकर अपना TRP तत्काल लागू कीजिए वरना बहुत कुछ संकट में आने वाला है। मैंने तो टीवी पर समाचार देखना लगभग बंद कर दिया है।
बहुत पहले लिखे अपने एक मुक्तक (जो कि आज सच होता दिख रहा है) से अपनी बात समाप्त करते हुए जन-सरोकारों से बेखबर इन समाचारवालों को आगाह करना चाहता हूं कि -
समाचार व्यापार बने न
कहीं झूठ आधार बने न
सुमन सम्भालो मर्यादा को
नूतन दावेदार बने न
सचमुच नूतन दावेदार के रूप में अनेक सोशल मीडिया हमारे सामने आज सक्रिय हैं। तो फिर भाइयों / बहनों / युवाओं - खतम कीजिए इन गैर जिम्मेवार चैनलों की TRP और तत्काल लागू कीजिए अपनी TRP - जय हिन्द।
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