Wednesday, May 14, 2025

एक बोध-कथा

एक गड़ेरिया के पास बहुत सारी भेंड़ें थी जिसकी देखरेख में वह दिन-रात लगा रहता था क्योंकि वही उसके जीने का एकमात्र सहारा था। भेड़ों की संख्या अधिक होने के कारण झुण्ड को सम्भालना जब कठिन होने लगा तो उसने एक तरकीब निकाली। 

एक दिन सभी भेड़ों को इकट्ठा करके गड़ेरिया ने कहा कि लोग तुझे भले भेंड़ कहा करते हैं लेकिन हकीकत में तुम सबके सब शेर हो। तुझे किसी से भला क्यूँ डरना? तुम्हारा कौन क्या बिगाड़ सकता है? धीरे-धीरे गड़ेरिया की अनेक कोशिशों और लच्छेदार भाषण से सभी भेंड़ों को यह विश्वास हो गया कि वह सचमुच शेर ही है। 

अपनी जरूरत के हिसाब से गड़ेरिया भेंड़ को जब जब काटता था तो भेड़ों की आँखों में आश्चर्यमिश्रित सवाल के भाव उपजते देखकर गड़ेरिया ने अपने वाक्-चातुर्य से झुण्ड को यह समझाने में सफल हुआ कि जिसे काटा गया सिर्फ वही एक भेंड़ बाकी जो भी हैं सबके सब शेर हैं। 

यह सुनकर भेंड़ों की भीड़ को संतोष हुआ और उनके बीच खुशी की लहर दौड़ गयी। 

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