शेर की शादी में चूहे को देखकर हाथी ने पूछा - "भाई तुम इस शादी में किस हैसियत से आये हो?" चूहा बोला, " जिस शेर की शादी हो रही है, वह मेरा छोटा भाई है।" हाथी का मुँह खुला का खुला रह गया, बोला, "शेर और तुम्हाराछोटा भाई?" चूहा - "क्या कहूँ? शादी के पहले मैं भी शेर ही था।" यह तो हुई मजाक की बात, लेकिन पुराने समय सेही दुनिया का मोह छोडकर, सच की तलाश में भटकनेवाले भगोडों को सही रास्ते पर लाने के लिए, शादी कराने कारिवाज हमारे समाज में रहा है। कई बिगडैल कुँवारों को इसी पद्धति से आज भी रास्ते पर लाया जाता है। हम सबनेकई बार देखा-सुना है कि तथाकथित सत्य की तलाश में भटकने को तत्पर आत्मा, शादी के बाद पत्नी को प्रसन्नकरने के लिए लगातार भटकती रहती है। कहते भी हैं कि "शादी वह संस्था है जिसमें मर्द अपनी 'बैचलर डिग्री' खोदेता है और स्त्री 'मास्टर डिग्री' हासिल कर लेती है।"
प्रायः शादी के पहले की जिंदगी पत्नी को पाने के लिए होती है और शादी के बाद की जिंदगी पत्नी को खुश रखने केलिए। तकरीबन हर पति के लिए पत्नी को खुश रखना एक अहम और ज्वलंत समस्या होती है और यह समस्याचूँकि सर्वव्यापी है, अतः इसे हम चाहें तो राष्ट्रीय (या अंतर्राष्ट्रीय) समस्या भी कह सकते हैं। लगभग प्रत्येक पतिदिन-रात इसी समस्या के समाधान में लगा रहता है, पर कामयाबी बिरलों के भाग्य में ही होती है। सच तो यह हैकि आदमी की पूरी जिंदगी पत्नी को ही समर्पित रहती है और पत्नी है कि खुश होने का नाम ही नहीं लेती। अगरखुश हो जाएगी तो उसका बीवीपन खत्म हो जाएगा, फिर उसके आगे-पीछे कौन घूमेगा? किसी ने ठीक ही तो कहाहै कि "शादी और प्याज में कोई खास अन्तर नहीं - आनन्द और आँसू साथ-साथ नसीब होते हैं।"
पत्नी को खुश रखना इस सभ्यता की संभवतः सबसे प्राचीन समस्या है। सभी कालखण्डों में पति अपनी पत्नी कोखुश रखने के आधुनिकतम तरीकों का इस्तेमाल करता रहा है और दूसरी ओर पत्नी भी नाराज होने की नई-नईतरकीबों का ईजाद करती रहती है। एक बार एक कामयाब और संतुष्ट-से दिखाई देनेवाले पति से मैंने पूछा-'क्योंभाई पत्नी को खुश रखने का उपाय क्या है?' वह नाराज होकर बोला- 'यह प्रश्न ही गलत है। यह सवाल यूँ होनाचाहिए था कि पत्नी को भी कोई खुश रख सकता है क्या?' उन्होंने तो यहाँ तक कहा कि "शादी और युद्ध में सिर्फएक अन्तर है कि शादी के बाद आप दुश्मन के बगल में सो सकते हैं।"
जिस पत्नी को सारी सुख-सुविधाएँ उपलब्ध हों, वह इस बात को लेकर नाराज रहती है कि उसका पति उसे समयही नहीं देता। अब बेचारा पति करे तो क्या करे? सुख-सुविधाएँ जुटाए या पत्नी को समय दे? इसके बरअक्स कईपत्नियों को यह शिकायत रहती है कि मेरे पति आफिस के बाद हमेशा घर में ही डटे रहते हैं। इसी प्रकार के आदर्श-पतिनुमा एक इन्सान(?) से जब मैंने पूछा कि 'पत्नी को खुश रखने का क्या उपाय है?' तो उसने तपाक से उत्तरदिया-'तलाक।' मुझे लगा कि कहीं यह आदमी मेरी ही बात तो नहीं कह रहा है? मैं सोचने लगा " 'विवाह' औरविवाद' में केवल एक अक्षर का अन्तर है शायद इसलिए दोनों में इतना भावनात्मक साहचर्य और अपनापन है।" '
पतिव्रता नारियों का युग अब प्रायः समाप्ति की ओर है और पत्नीव्रत पुरुषों की संख्या, प्रभुत्व और वर्चस्वलगातार बढत की ओर है। यदि इसका सर्वेक्षण कराया जाय तो प्रायः हर दूसरा पति आपको पत्नीव्रत मिलेगा।मैंने सोचा क्यों न किसी अनुभवी पत्नीव्रत पति से मुलाकात करके पत्नी को खुश रखने का सूत्र सीखा जाए।सौभाग्य से इस प्रकार के एक महामानव से मुलाकात हो ही गई, जो इस क्षेत्र में पर्याप्त तजुर्बेकार थे। मैंने अपनीजिज्ञासा जाहिर की तो उन्होंने जो भी बताया, उसे अक्षरशः नीचे लिखने जा रहा हूँ, ताकि हर उस पति का कल्याणहो सके, जो पत्नी-प्रताडना से परेशान हैं -
१ - ब्रह्ममुहुर्त में उठकर पूरे मनोयोग से चाय बनाकर पत्नी के लिए 'बेड टी' का प्रबंध करें। इससे आपकी पत्नीका 'मूड नार्मल' रहेगा और बात-बात पर पूरे दिन आपको उनकी झिडकियों से निजात मिलेगी। वैसे भी, किसी भीपत्नी के लिए पति से अच्छा और विश्वासपात्र नौकर मिलना मुश्किल है, इसलिए इसे बोझस्वरूप न लें, बल्किसहजता से युगधर्म की तरह स्वीकार करें। कहा भी गया है कि "सर्कस की तरह विवाह में भी तीन रिंग होते हैं - एंगेजमेंट रिंग, वेडिंग रिंग और सफरिंग।"
२ - अगर आपका वास्ता किसी तेज-तर्रार किस्म की पत्नी से है तो उनके तेज में अपना तेज (अगर अबतक बचाहो तो) सहर्ष मिलाकर स्वयं निस्तेज हो जाएँ। क्योंकि कोई भी पत्नी तेज-तर्रार पति की वनिस्पत ढुलमुल पतिको ही ज्यादा पसन्द करती है। इसका यह फायदा होगा कि आप पत्नी से गैरजरूरी टकराव से बच जाएँगे, अब तोजो भी कहना होगा, पत्नी कहेगी। आपको तो बस आत्मसमर्पण की मुद्रा अपनानी है।
३- आपकी पत्नी कितनी ही बदसूरत क्यों न हो, आप प्रयास करके, मीठी-मीठी बातों से यह यकीन दिलाएँ किविश्व-सुन्दरी उनसे उन्नीस पडती है। पत्नी द्वारा बनाया गया भोजन (हलाँकि यह सौभाग्य कम ही पतियों कोप्राप्त है) चाहे कितना ही बेस्वाद क्यों न हो, उसे पाकशास्त्र की खास उपलब्धि बताते हुए पानी पी-पीकर निवाले कोगले के नीचे उतारें। ध्यान रहे, ऐसा करते समय चेहरे पर शिकायत के भाव उभारना वर्जित है, क्योंकि "विवाह वहप्रणाली है, जो अकेलापन महसूस किए बिना अकेले जीने की सामर्थ्य प्रदान करती है।"
४ - पत्नी के मायकेवाले यदि रावण की तरह भी दिखाई दे तो भी अपने वाकचातुर्य और प्रत्यक्ष क्रियाकलाप सेउन्हें 'रामावतार' सिद्ध करने की कोशिश में सतत सचेष्ट रहना चाहिए।
५ - आप जो कुछ कमाएँ, उसे चुपचाप 'नेकी कर दरिया में डाल' की नीति के अनुसार बिल्कुल सहज समर्पित भावसे अपनी पत्नी के करकमलों में अर्पित कर दें और प्रतिदिन आफिस जाते समय बच्चों की तरह गिडगिडाकरदो-चार रूपयों की माँग करें। पत्नी समझेगी कि मेरा पति कितना बकलोल है कि कमाता खुद है और रूपये-दोरूपयों के लिए रोज मेरी खुशामद करता रहता है। एक हालिया सर्वे के अनुसार लगभग पचहत्तर प्रतिशत पतिइसी श्रेणी में आते हैं। मैं अपील करता हूँ कि शेष पच्चीस प्रतिशत भी इस विधि को अपनाकर राष्ट्र की मुख्यधारामें सम्मिलित हो जाएँ और सुरक्षित जीवन-यापन करें।
अंत में उस अनुभवी महामानव ने अपने इस प्रवचन के सार-संक्षेप के रूप में यह बताया कि उक्त विधियों कोअपनाकर आप भले दुखी हो जाएँ, लेकिन आपकी पत्नी प्रसन्न रहेगी और उनकी मेहरबानी के फूल आप परबरसते रहेंगे। किसी ने बिलकुल ठीक कहा है कि "प्यार अंधा होता है और शादी आँखें खोल देती है।" मेरी भी आँखेंखुल गई। कलम घिसने का रोग जबसे लगा, साहित्यिक मित्रों की आवाजाही घर पर बढ गई। चाय-पानी के चक्करमें जब पत्नी मुझे पूतना की तरह देखती तो मेरी रूह काँप जाती थी। मैंने इससे निजात पाने का रास्ता ढूँढ हीलिया।
आपने फूल कई रंगों के देखे होंगे, लेकिन साँवले या काले रंग के फूल प्रायः नहीं दिखते। मैंने अपने नाम 'श्यामल' के आगे पत्नी का नाम 'सुमन' जोड लिया। हमारे साहित्यिक मित्र मुझे 'सुमनजी-सुमनजी' कहकर बुलाते हुए घरआते। धीरे-धीरे नम्रतापूर्वक मैंने अपनी पत्नी को विश्वास दिलाने में आश्चर्यजनक रूप से सफलता पाई कि मेरेउक्त क्रियाकलाप से आखिर उनका ही नाम तो यशस्वी होता है। अब मेरे घर में ऐसे मित्रों भले ही स्वागत-सत्कारकम होता हो, पर मैं निश्चिन्त हूँ कि अब उनका अपमान नहीं होगा। किसी ने ठीक ही कहा है कि "विवाह वहसाहसिक-कार्य है जो कोई बुजदिल पुरुष ही कर सकता है।"
एक चुटकुला
ReplyDeleteसांवली पत्नी पति के लिए श्रृंगार कर सुन्दर पीली साड़ी पहन कर आई और पति से बोली ..बताइए -कैसी लग रही हूँ आज .... पति बोला सरसों के खेत में भैंस ......आगे क्या बोलूं .. :)
बहुत बढ़िया..... आज आपकी पोस्ट पढ़ने का 'हमारे उनसे' भी आग्रह किया जायेगा.... :)
ReplyDeleteअनुभवजन्य ज्ञान या भोगा हुआ यथार्थ.
ReplyDeleteजय हो पत्नी जी की
ReplyDeleteसोभाग्य वती आशीर्वाद (बेचारा पति | पत्नीजी जी कहने पर चले तो जोरू का गुलाम ना चले पत्नी करती पति को बदनाम ) रक्षा करना